

गर्भावस्था में AI की भूमिका: 19 साल तक अलग-अलग उपचार करवाने के बावजूद एक दंपति माता-पिता नहीं बन सका था। लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से उनके माता-पिता बनने की उम्मीद जगी है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स ने STAR नाम की एक नई AI तकनीक का उपयोग करके महिला को गर्भवती करने में सफलता प्राप्त की है।
दुनियाभर में आज भी कई ऐसे दंपति हैं जो संतान की उम्मीद में वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। IVF और सरोगेसी जैसी आधुनिक तकनीकों के बावजूद, कई लोग आज भी अपने बच्चे का चेहरा देखने को तरस रहे हैं। अगर आप भी ऐसे ही किसी सफर से गुजर रहे हैं, तो यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि अब AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपकी उम्मीदों को साकार कर सकता है। हाल ही में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने एक खास AI तकनीक की मदद से 19 साल से बच्चे की कोशिश कर रहे एक जोड़े को माता-पिता बनने की राह दिखा दी है।
क्या है पूरा मामला?
इस दंपति ने माता-पिता बनने की चाह में हर संभव इलाज करवाया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। अपने बच्चे की ख्वाहिश में उन्होंने 15 बार IVF जैसी प्रक्रिया का सहारा लिया, मगर हर प्रयास असफल रहा। इसके बाद उन्होंने एक नए परीक्षण में भाग लिया, जिसमें ‘STAR’ (Sperm Tracking and Recovery) नाम की AI तकनीक का उपयोग किया गया। इसी तकनीक की सहायता से महिला गर्भवती होने में सफल रही।
पति को क्या दिक्कत थी?
इस दंपति के संतान न होने की मुख्य वजह यह थी कि महिला के पति एजोस्पर्मिया नाम की समस्या से ग्रसित थे। एजोस्पर्मिया एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें पुरुष के सीमेन (वीर्य) में स्पर्म्स मौजूद नहीं होते। और यह तो सभी जानते हैं कि स्पर्म्स के बिना संतान की संभावना नहीं होती।
एजोस्पर्मिया के दो मुख्य कारण:
- रुकावट (ऑब्सट्रक्टिव एजोस्पर्मिया): जब शुक्राणु बाहर निकलने के रास्ते में कोई अवरोध होता है।
- शुक्राणु न बनना (नॉन-ऑब्सट्रक्टिव): जब शरीर खुद ही शुक्राणु उत्पन्न नहीं करता।
AI ने कैसे निभाई अहम भूमिका?
AI तकनीक ने वो कर दिखाया जो इंसानी आंखें भी नहीं कर पातीं। STAR नामक तकनीक में वैज्ञानिकों ने एक खास मशीन विकसित की, जो एक घंटे में करीब 80 लाख तस्वीरें खींच सकती है। इन तस्वीरों की मदद से AI अत्यंत सूक्ष्म और छुपे हुए स्पर्म्स को पहचान लेती है, फिर एक विशेष उपकरण से उन्हें बिना किसी क्षति के सुरक्षित रूप से अलग कर लिया जाता है।
कैसे मिली उम्मीद की किरण?
AI तकनीक की सहायता से डॉक्टरों को पुरुष के सीमेन में धीरे-धीरे कुछ स्वस्थ शुक्राणु मिले। उन्हीं में से एक स्पर्म को महिला के अंडाणु में प्रत्यारोपित किया गया। इसी प्रक्रिया के जरिए, 19 साल के लंबे संघर्ष के बाद महिला पहली बार गर्भवती हो सकी।